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ब्रेकिंग न्यूज़

Tuesday, 10 November 2020

ज्ञान की बातें 11:24

सबसे गजब के मनोविज्ञान में से कुछ तथ्य

सबसे गजब के मनोविज्ञान में से कुछ तथ्य निम्नलिखित हैं

Image by - pixabay

1-आप सोने से पहले जो बातें सोचते हैं वह आपके सुख या दुख का कारण होता है।
2-अगर आप किसी के बारे में बहुत ज्यादा सोच रहे हैं तो मनोविज्ञान कहता है कि वह भी आपको याद कर रहा है।
3-अक्सर हम वही गाना सुनते हैं जिस दौर से हम गुजर रहे होते हैं जैसे कि अगर आपको लव हुआ है तो लव वाला गाना सुनेंगे और अगर ब्रेकअप हुआ है तो ब्रेकअप वाला अगर प्रभु में मन लग रहा है तो भक्ति वाला।
4-हमारे सपने में अक्सर वही चीज आती है जो हम कई दिनों से सोच रहे होते हैं।
5-मनोविज्ञान कहता है कि अगर हम हमेशा सकारात्मक सोचते हैं तो हम सकारात्मक बन जाते हैं और अगर नकारात्मक सोचते हैं तो नकारात्मक आदमी बन जाते।

6-मनोविज्ञान कहता है कि कि अगर आप झूठ बोल रहे हैं तो आप पलके ज्यादा जब खाते हैं और नजरें बचाते हैं।

7-मनोविज्ञान कहता है कि अगर लड़कियां किसी से प्यार करती है तो हमेशा उसी के बारे में सोचती है।

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जीवन का सही उद्देश्य क्या होना चाहिए?

Arjun Soren 0
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Sunday, 31 May 2020

ज्ञान की बातें 12:00

जीवन का सही उद्देश्य क्या होना चाहिए?

जीवन का सही उद्देश्य क्या होना चाहिए?


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          Image source by-pixabay.com
जीवन का उद्देश्य ना होना- यदि आपके जीवन में कोई उद्देश्य नहीं है, ऐसे में आप अपने जीवन को केवल और केवल बर्बाद कर रहे हैं। देखिए, जिंदा रहने में और जीवन जीने में बहुत ज्यादा अंतर होता है। देखिए जिंदा तो वह आदमी भी है जो सड़क पर भीख मांग कर अपना पेट पाल रहा है। परंतु वह व्यक्ति जीवन को नहीं जी पा रहा है। क्योंकि उसके जीवन में कोई उद्देश्य नहीं है, उसका कोई लक्ष्य नहीं है बस उसे अपना जीवन काटना है। अब आपको तय करना है कि आप अपना जीवन जीना चाहते हैं या फिर बस अपना समय काटना चाहते हैं।

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समय का सदुपयोग- हमारे जीवन में समय का सही प्रयोग होना अति आवश्यक है। अर्थात हमारे डेली रूटीन में टाइम मैनेजमेंट का होना अति आवश्यक है। आज आप किसी भी व्यक्ति को देख लीजिए चाहे वह बहुत ज्यादा अमीर हो या फिर बहुत ही गरीब हो ईश्वर ने सबको केवल और केवल 24 घंटे ही दिए हैं। एक व्यक्ति 24 घंटे में क्या से क्या कर ले रहा है और एक व्यक्ति केवल 24 घंटे आलस्य में समय व्यतीत कर देता है। यदि आप इस 24 घंटे का प्रयोग करें तो आप अपने जीवन को बर्बाद होने से बचा सकते हैं।

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         Image source by-pixabay.com
प्रेम संबंध- एक उम्र के बाद हम सभी के जीवन में एक ऐसा मोड़ आता है कि हम चाहते ना चाहते हुए भी अपने विपरीत लिंग वाले व्यक्ति पर मोहित होने लगते हैं। देखिए यह किसी भी तरीके से गलत नहीं है। परंतु जब आप इस संबंध में आगे बढ़ते हैं तब आप आवश्यकता से अधिक समय इस पर खर्च कर देते हैं। और एक बात मैं आपको दावे के साथ कह सकता हूं कि आप बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो वापस पा सकते हैं, परंतु एक बार समय हाथ से निकल गया तो वह वापस नहीं आता है। इसलिए प्रेम करिए लेकिन प्रेम के साथ साथ समय का पूरा मान रखिए।


गलत संगति में पड़ना- हमारे जीवन में संगति का बहुत ही ज्यादा प्रभाव पड़ता है। पहले के ज्ञानी लोग कहते थे, ‘संगत से गुण आत है संगत से गुण जात’ अर्थात यदि आप अच्छे व्यक्तियों की संगत करते हैं तो आप अच्छी चीजें सीख पाएंगे। वही गलत संगति में पड़कर आप केवल गलत चीज ही सीखेंगे। यदि आप एक युवा हैं तब आपको और सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि यही समय होता है जब एक छोटी सी गलत संगति आपके पूरे जीवन का रास्ता ही बदल लेती है।


एडल्ट सामग्री- इंटरनेट का युग है और हमारे एक ही क्लिक पर हम जो चाहे वह देख सकते हैं। अब यहां आपको यह बताने की जरूरत नहीं है कि आपको क्या नहीं करना चाहिए। मैं आपसे यह नहीं कहूंगा कि आप इसे देखिए या मत देखिए। लेकिन एक बार जो मुझसे कई लोग पूछते हैं कि क्या पोर्न देखना सही है या नहीं?

तो यह चीज आप अपने आप से पूछिए, अपनी आत्मा से पूछिए? कि जब आप पर देखते हैं तब आपकी आत्मा क्या कहती है? क्या आपको पोर्न देखना सही लगता है? यदि आपका जवाब हां है तो आप इसे देख सकते हैं। परंतु यदि आपका जवाब नहीं है जोकि 99 पर्सेंट लोगों का होता है, इसे तुरंत देखना बंद करिए। क्योंकि इसकी लत नशे से भी बुरी लत होती है। एक बार लग जाए तो उसे छोड़ना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
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आगे बढ़ने की सबसे आसान तकनीक- देखिए अपने जीवन में आगे बढ़ना बहुत ही आसान होता है। यदि आप केवल और केवल 6 महीने लगातार अपने जीवन के लक्ष्य पर मन लगाकर काम करें, तो आप दूसरों से 3 साल आगे जा सकते हैं। वही आप अपने जीवन के लक्ष्य पर केवल और केवल 3 साल लगातार मेहनत करते हैं, तो आप दूसरों से कई साल आगे निकल जाएंगे। देखिए मेहनत ही सफलता की कुंजी है, ऐसा आप बचपन से ही पढ़ते आ रहे होंगे। सक्सेस का कोई शॉर्टकट नहीं होता है इस बात को आप गांठ बांध लीजिए। बिना मेहनत किए आप कभी भी आगे नहीं बढ़ सकते हैं इसलिए मेहनत करने से कभी पीछे मत हटिए।

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ज्ञान की बातें 11:05

पोर्न मूवीज की असलियत

पोर्न मूवीज की असलियत

क्या आपको कुछ ऐसे रहस्य पता हैं जो किसीका जीवन बर्बाद या तो आबाद कर सकता हैं?
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                 Image credit by-Shutterstock
आज मैं आपको युवा पीढ़ी के लिए सबसे अधिक उपयोगी टॉपिक "पोर्न मूवीज की असलियत" के बारे में बताऊंगा और यह भी बताऊंगा पोर्न इंडस्ट्री का मकसद क्या है, यह लोग युवाओं को भ्रमित करने के लिए कैसे काम करते है?

तो उत्त्तर शुरू करते है।

वास्तव में कोई भी सेक्स मे रुचि रखने वाला लड़का अपने मन मे लड़कियो के प्रति गलत सोचता है, लेकिन उसका यह विचार इतना मजबूत नही बन पाता, क्यों कि उसके आस पास के समाज मे उसे लड़कियो में वो इमेज नही दिखाई देती जो वो ढूंढ रहा है, जैसे उसने अपने मन मे बना रखी है,जिस से कि उसकी मान्यता को बल मिले, ।उसके आस पास की लड़कियां सभ्य है, अपनी पढ़ाई में ध्यान देती है, लड़को से थोड़ा दूर रहती है,गलत गंदी सोच वालो को पसंद नही करती। उससे ऐसे व्यक्ति के मन मे विरोधाभास रहता है कि क्या वो सही सोच रहा है या गलत।इसके कारण वो काफी हद तक खुद को रोक के रखता है,लेकिन सेक्स एडिक्ट्स की आंतरिक जद्दो जहद का हल पोर्न इंडस्ट्री निकालती है, वो वहाँ की मूवीज में लड़कियो को सेक्स में आंनदित होता हुआ दिखाते है , सेक्स की मांग करते दिखाते है(जबकि कई गलत मूवीज की heroines ने बहुत बार यह खुलासा किया है कि यह सब करना उनके लिए बहुत दर्दनाक होता है,उन्हें कई प्रकार की दवाइयां और नशे लेकर ऐसे काम करना पड़ता है, उनको उन मूवीज में ऐसे एक्सप्रेशंस देने के लिए ज्यादा पैसे मिलते है जिस से कि देखने वाले को ऐसा लगे कि सेक्स से बढ़कर कुछ नही और लड़कियां दिन रात सेक्स में ही डूबा रहना चाहती है और लड़कों को केवल उनके शरीर के लिए प्यार करती है, वो ऐसा दिखाने का प्रयास करते है कि लड़कियो की असलियत ऐसी ही होती है, अगर सिर्फ उनका मकसद यही होता सेक्स एजुकेशन देना तो उनको लाखों करोड़ो वीडियो बनाने की जरूरत नही थी, उनका मकसद कुछ और है , वो आपकी वासना की आग में पेट्रोल डालने का काम करते है, वो आपके वहम के ढांचे में सीमेंट भरने का काम करते है(जिसे तोड़ने में बाद में सालों लग सकते है, जितना ज्यादा मूवीज आप देखते रहेंगे उतनी बड़ी यह वहम की बिल्डिंग तयार हो जाएगी)।असल मे उनकी इंडस्ट्री में लड़कियो की बहुत ज्यादा वैरायटी होती है।वो वहा अलग अलग धर्म की, अलग अलग रूप रंग की, अलग अलग देश की, अलग अलग प्रजाति की, अलग अलग उम्र की लड़कियो को इस्तेमाल कर एक सेक्स एडिक्ट के मन मे गहरा विश्वास बिठाने में सफल हो जाते है कि लड़कियां किसी भी धर्म की हो, किसी भी देश की हो, किसी भी उम्र की हो, किसी भी रंग की हो, वास्तव में बाहर से जैसी शरीफ और घरेलू दिखती है, अंदर से वैसी नही होती, और हर एडिक्ट के मन मे यह भावना बैठ जाती है (इसलिए addict लोग अलग अलग तरह से, अलग अलग लड़कियो के सेक्स को देखते है, उनका मन नही भरता, उनका एक वीडियो देखकर कर मन नही भरता),जहाँ उसके मन मे पहले विरोधाभास था , अब वह यह बात पक्का मान लेता है कि लड़कियां वास्तव के ऐसी ही होती है। यही उसका दृष्टिकोण बन जाता है, उसे हर औरत वैश्या ही नज़र आती है।यही दृष्टिकोण उस व्यक्ति से इतना बड़ा क्राइम करवा देता है कि उसे जिंदगी भर की सज़ा मिलती है।यह है वो कारण जिससे कि हमारा समाज मे रेप, मर्डर, घरेलू हिंसा, मार पीट, eve teasing, सुसाइड, bois locker room जैसी घटनाओं को बहुत बढ़ावा मिलता है(और हमारे परिजन सोचते है कि उनके पालन पोषण में कहा गलती रह गयी, गलती यहां हो रही है)।अगर ऐसी घटनाओं को अंजाम न भी दे, वो masturbation और night फॉल जैसी problems से ग्रस्त होकर बर्बाद हो जाता है, इसलिए मैं तो यही कहूंगा कि पोर्न मूवीज देखना अभी छोड़ दीजिए।नही तो आपको अपने जीवन मे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।और इसकी कीमत आपका जीवन ही है।
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पोर्न एडिक्शन एक ऐसी संकरी गली है, जिसमे कोई व्यक्ति अपने दिमाग रूपी गाड़ी लेकर घुसता है तो पहले ही उसकी गाड़ी का बैक गियर खराब कर दिया जाता है, इस गली में घुसने, आगे बढ़ने का रास्ता तो है लेकिन जब इंसान को एहसास होता है कि गलत जगह आ गया है तो वो backgear खराब होने के कारण गाड़ी को बैक करके निकलने में असमर्थ रहता है(ब्रेन खराब हो जाता है)।आप माने या न माने पोर्न मूवीज मानसिक रोगी पैदा करने की फैक्ट्री है, जिसकी दुनिया मे दाखिल होने पर एक देवता जैसा इंसान भी हैवान बनकर बाहर निकलता है।अगर सच मे समाज, देश , दुनिया मे रेप , घरेलू हिंसा, eve teasing जैसी घटनाओं को कम करना है तो पहले यह हैवान बनाने की फैक्ट्री (पोर्न इंडस्ट्री )बंद करनी पड़ेगी।पोर्न इंडस्ट्री और पोर्न एडिक्ट का वास्तिविकता से कोई लेना देना नही है, आप जितना ज्यादा इसमे घुसते जाएंगे, उतना ही आप वास्तविक संसार से दूर होते जाएंगे।बाकी मैं तो यही कहूंगा कि अगर आप को अपने जीवन से, अपने आप से, अपने परिवार से प्यार है तो इस लत को जितना जल्दी हो सके छोड़ दीजिए।

अंत मे मैं आपको यही कहना चाहूंगा कि इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए, क्योंकि यह पोर्नोग्राफी आपके भाई, आपके बेटे,आपके पिता ,आपके पति , और अब तो आपकी बहनों को और आपकी बेटियो को भी (गर्ल्स लॉकर रूम)आपसे छीन ले जा रही है, आपको पता भी नही लगेगा कि आपके आस पास रह रहा इंसान कब हैवान बन गया।अभी समय है जाग जाइए, नही तो बहुत देर हो जाएगी।अभी भी नही उठे तो बस फिर रेप होने पर मोमबत्तियां जगाने, और सरकार पर प्रश्न पूछने (boys locker room)तक सीमित रह जाएंगे, और हमारी युवा पीढ़ी हमारे हाथ से निकल जाएगी।

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Saturday, 21 March 2020

ज्ञान की बातें 15:55

पूरी दुनिया में फैल चुका है कोरोना, 195 में से बस गिनती के देश बचे

पूरी दुनिया में फैल चुका है कोरोना, 195 में से बस गिनती के देश बचे

29 फरवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा था कि कोरोना वायरस अगर सभी देशों में नहीं तो ज्यादातर देशों में फैल सकता है. दुनिया में कुल 195 देश हैं. इसमें से 185 देशों में कोरोना वायरस फैल चुका है. यानी अब करीब 10 देश ही ऐसे बचे हैं जहां अभी तक यह वायरस नहीं फैला है. इनमें आकर्टिक और अंटार्कटिका का क्षेत्र भी शामिल है.

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                                    PHOTO BY - WHO
वर्ल्डओमीटर वेबसाइट की माने तो अब तक दुनिया के 185 देशों में कुल 276,591 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं.  जबकि, WHO की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के करीब 175 देश कोरोना से संक्रमित हैं.

इस जानलेवा वायरस की वजह से करीब 11,419 लोगों की मौत हो चुकी है. 91,954 लोग बीमारी से रिकवर कर चुके हैं.  
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PHOTO BY-WHO

दुनिया में सबसे ज्यादा मामले जिन देशों में सामने आए हैं वो देश अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जाने जाते हैं. इन देशों की स्वास्थ्य प्रणालियों की तारीफ की जाती है. ये देश हैं - चीन, इटली, स्पेन, जर्मनी और अमेरिका.

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                                                PHOTO BY-AP
चीन में अब तक 81008 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. 3255 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं इटली में 47021 लोग संक्रमित हैं, जबकि, 4032 लोगों की मौत हो चुकी है.

स्पेन में 21,571 लोग संक्रमित हैं, 1093 लोगों की मौत हो चुकी है. उसी तरह जर्मनी में 19848 लोग संक्रमित हैं, जबकि 68 लोगों की मौत हो चुकी है. 
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                                                                       PHOTO BY-AP
दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका में भी तेजी से मामले बढ़ रहे हैं. यहां कुल 19,778 लोग संक्रमित है. यहां अब तक 275 लोगों की मौत हो चुकी है.

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                                                          PHOTO BY- AP
कुल मिलाकर मतलब ये निकलता है कि दुनिया के 195 देशों में से 185 देशों में कोरोना का संक्रमण तो है ही लेकिन बाकी बचे 10 देश कब तक बच पाएंगे. यह कह पाना मुश्किल है

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                                                       PHOTO BY-REUTERS
निया भर के देशों ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद कर दी हैं. बाजार, उद्योग बंद हैं. स्कूल, कॉलेजों में पढ़ाई स्थगित है. करोड़ों अरबों का नुकसान हो चुका है लेकिन इस बीमारी से लड़ने के लिए पूरी दुनिया एक होती नजर आ रही है. वर्ल्डओमीटर वेबसाइट के आंकड़ों की पुष्टि आजतक नहीं करता.

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जनता कर्फ्यू क्या होता है और इसे क्यो लगाया गया है ?

Arjun Soren 0
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Labels: ज्ञान की बातें
ज्ञान की बातें 15:09

जनता कर्फ्यू क्या होता है और इसे क्यो लगाया गया है ?

 जनता कर्फ्यू क्या होता है?
 
आज पूरे विश्व के सामने कोरोना वायरस या कोविड-19 की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है. इस महामारी की चपेट में विश्व के 100 से अधिक देश हैं, इससे लगभग 9000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 2 लाख से ज्यादा संक्रमित हो चुके हैं. भारत में इससे 190 लोग संक्रमित हो चुके हैं और 4 लोगों की मौत हो चुकी है.
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                               फोटो क्रेडिट - The NewYork Times
इस भयंकर माहौल में हर देश अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव उपाय कर रहा है. भारत में लोग इकोनोमिक लॉकडाउन की अफवाहों में जी रहे हैं, इसी बीच इन अफवाहों को विराम देने के लिए प्रधानमन्त्री मोदी ने देश में किसी भी इकोनोमिक लॉकडाउन से इंकार किया और लोगों से खाने पीने के सामान खरीदने की होड़ से बचने की अपील के साथ साथ जनता कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है.

अब सवाल यह उठता है कि आखिर ये जनता कर्फ्यू क्या होता है और इसके क्या उद्येश्य हो सकते हैं? आइये विस्तार से जानते हैं इस लेख में;

जनता कर्फ्यू क्या होता है (Meaning of Janatha Curfew)

आसान शब्दों में जनता कर्फ्यू से तात्पर्य है 'जनता के लिए, जनता द्वारा लगाया गया कर्फ्यू'. अर्थात इस प्रकार के माहौल में जनता स्वयं ही कम मात्रा में एक दूसरे से संपर्क में आएगी. 

मोदी जी ने जनता से अपील की है कि जनता कर्फ्यू के दिन कोई भी नागरिक; सड़क पर ना जाए, घर से बाहर न निकले, न मोहल्ले में जाए. PM मोदी ने देश में 22 मार्च (रविवार) को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे (Janatha Curfew Timing) तक जनता कर्फ्यू को लागू करने की अपील की है.

जनता कर्फ्यू को सुचारू रूप से लागू करने के लिए पुलिस सायरन बजाती हुई सड़कों पर घूम सकती है और जो लोग घरों के बाहर, सडकों पर घूम रहे हैं उन्हें घर के अंदर जाने के लिए कह सकती है.मोदी जी ने राज्य सरकों से भी अपील की है कि वे जनता कर्फ्यू लागू करने के लिए जरूरी कदम उठायें.

जनता कर्फ्यू के उद्येश्य (Objectives of Janatha Curfew)
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दरअसल कोविड19 का असर तब ज्यादा होता है जब एक संक्रमित व्यक्ति कई अन्य स्वस्थ लोगों के संपर्क में आता है. इसलिए सरकार, जनता कर्फ्यू के माध्यम से लोगों का आपसी संपर्क कम करना चाहती है ताकि इस बीमारी से फैलने वाले संक्रमण को रोका जा सके.

वर्तमान में ऐसा हो रहा है कि जो व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है वह बाहर; बाजार, शोपिंग मॉल,पब्लिक ट्रांसपोर्ट, नाई की दुकान, ऑफिस इत्यादि में जाकर स्वस्थ लोगों को संक्रमित कर रहा है जिससे प्रतिदिन संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही है.



इसलिए जनता कर्फ्यू का मुख्य उद्येश्य पर्सन टू पर्सन कांटेक्ट को कम करना है ताकि इस बीमारी के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.

उम्मीद है कि इस लेख को पढने के बाद आप समझ गये होंगे कि आखिर ये जनता कर्फ्यू क्या होता है और इसको लागू करने के क्या उद्येश्य हैं?

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कोरोना वायरस की सावधानियां जरूर बरतें-

ऐसे लोगों को पहचान सकते हैं, जो बिना लक्षणों के कोरोना वायरस कैरी कर रहे हैं?





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कोरोना वायरस की  सावधानियां जरूर बरतें-
ज्ञान की बातें 11:28

कोरोना वायरस की सावधानियां जरूर बरतें-

दुनियाभर के कई देश कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे है. ये संक्रमण भारत में भी तेजी से फैल रहा है. 20 मार्च तक मरीजों की कुल संख्या 250 तक पहुंच गई है.

आइए हम सभी सतर्क रहें क्योंकि हम जल्द ही कोरोना वायरस (Coronavirus) तीसरे चरण में प्रवेश करने वाले हैं. कोरोना वायरस से बचने के लिए घर पर कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी हैं-

ये सावधानियां जरूर बरतें-


1. दूध का पैकेट लेते वक्त पैकेट को और अपने हाथों को धोएं.

2. अपने घर या ऑफिस में आने वाले न्यूज पेपर को रदद् करने पर विचार करें.


3. कोरियर के लिए अलग से ट्रे रखें. जिससे कोरियर लाने वाला शख्स सामान (लिफाफा या पैकेट) को ट्रे में रख दे. इसके बाद कोरियर को अगले 24 घंटे तक न छुंए.


4. अपने घर के नौकर या नौकरानी को दरवाजा न छूने के लिए कहें. कोई भी चीज छूने से पहले घर में घुसते समय तुरंत हाथ धोने के लिए कहें. इसके अलावा कॉलिंग बेल के स्विच को किसी तरल पदार्थ से साफ करें.

5. जहां तक हो सके ऑनलाइन खाना ऑर्डर करने की आदत छोड़ें.


6. बाजार से फल और सब्जी लाने के बाद धोएं.

7. रिमोट, मोबाइल फोन और कीबोर्ड वायरस से सबसे ज्यादा संक्रमित हो सकते हैं इसीलिए किसी तरल पदार्थ से इन चीजों को साफ करें.


8. घर में रहें या फिर ऑफिस में हर 1 घंटे में हाथ धोते रहें.


9. पब्लिक ट्रांसपोर्ट से बिलकुल भी यात्रा न करें. अगर कहीं जाना बहुत जरूरी हो तो बाइक से सफर करें.


10. इस समय जिम, स्वीमिंग पूल या व्यायाम करने की ऐसी किसी भी जगह पर न जाएं जहां संक्रमण फैलने की संभावना हो.


11. कोचिंग, डांस क्लास, म्यूजिक क्लास और स्कूल जाना कैंसिल कर दें.

12. जब भी ऑफिस या शॉपिंग से घर लौटकर वापस आएं तब अपने सारे कपड़े उतारकर हाथों और पैरों को अच्छी तरह से धोएं.


13. सबसे महत्वपूर्ण चीज ये है कि हाथों से अपने चेहरे को बिलकुल भी न छुएं. ये बात घर में माता-पिता और बच्चों को भी समझा दें.


14. बुजुर्ग लोगों से आग्रह करें कि वो बाहर टहलने के लिए जाना बंद करें

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ज्ञान की बातें 11:17

ऐसे लोगों को पहचान सकते हैं, जो बिना लक्षणों के कोरोना वायरस कैरी कर रहे हैं?

ऐसे लोगों को पहचान सकते हैं, जो बिना लक्षणों के कोरोना वायरस कैरी कर रहे हैं?
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                                          फोटो क्रेडिट-PTI

फरवरी 2020. चीन के वुहान में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सभी देश वहां फंसे अपने नागरिकों को वापस ला रहे थे. अमेरिका ने भी अपने नागरिकों को वापस लाया. उनका मेडिकल टेस्ट किया. ये जानने के लिए कि कहीं वो कोरोना वायरस की चपेट में तो नहीं हैं. एक यूएस सिटिजन का कैलिफोर्निया के सैन डियागो के एक अस्पताल में टेस्ट हुआ. नतीजा निगेटिव आया. कुछ दिन बाद दोबारा उस व्यक्ति का टेस्ट हुआ. इस बार पता चला कि उसके शरीर में कोरोना वायरस है. उसी दौरान जापान से भी इस तरह के दो मामले सामने आए. शुरुआती टेस्ट में कोरोना वायरस निगेटिव नतीजा आया, बाद के टेस्ट में पॉजिटिव.


ऐसा क्यों? क्योंकि ये तीनों कोरोना वायरस के ‘साइलेंट कैरियर’ थे. इनके शरीर में मौजूद कोरोना वायरस का पता उन टेस्टिंग मेथड से नहीं हो सका, जो एक महीने पहले तक आमतौर पर यूएस में कोरोना का पता लगाने के लिए इस्तेमाल की जा रही थीं.

इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए हमने बात की वायरोलॉजिस्ट दिलीप से. ये अमेरिका में रहते हैं. इनसे हमें जो पता चला, उसके मुताबिक आगे सारे जवाब बताए जा रहे हैं.

साइलेंट कैरियर कौन होते हैं?

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                                                                  फोटो क्रेडिट-PTI

आमतौर पर अगर किसी व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस चला जाता है, तो दो से तीन दिन के अंदर कोविड-19 के लक्षण दिखने लगते हैं. जैसे बुखार आना, फ्लू होना, कोल्ड होना, शरीर में दर्द होना. तीन से पांच दिन में ये लक्षण थोड़े और बढ़ जाते हैं. पांच से 10 दिन में सांस लेने में दिक्कत होने लगती है, निमोनिया के लक्षण दिखने लगते हैं.

लेकिन जो साइलेंट कैरियर होते हैं, उनके शरीर में कोरोना वायरस आने के बाद भी कोविड-19 के लक्षण जल्दी सामने नहीं आते. उन्हें शुरुआती 10 दिन में सर्दी नहीं होती. होती भी है, तो ज्यादा बढ़ती नहीं. फीवर नहीं आता. आता भी है, तो तेज़ नहीं. यानी कोविड-19 के लक्षण सामने आने में 10 से 15 दिन का वक्त लग जाता है. हो सकता है कि 15 दिन के बाद भी कोविड-19 के लक्षण दिखाई ही न दें. लेकिन उस दौरान ये ‘साइलेंट कैरियर्स’ वायरस फैलाते रहते हैं. यानी इनके संपर्क में आने वाले व्यक्ति कोरोना वारयस की चपेट में आ सकते हैं.

ऐसा क्यों होता है?

डॉक्टर दिलीप ने बताया कि सबकुछ निर्भर करता है व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर. यानी बीमारियों से लड़ने की क्षमता पर. जिन लोगों का इम्यून सिस्टम अच्छा होता है, उनका शरीर कोरोना की चपेट में आने के बाद भी उससे लड़ता है. उसे बीमारी के तौर पर पनपने से रोकता है. यही वजह है कि कोविड-19 के लक्षण कुछ लोगों के शरीर में जल्दी सामने नहीं आते. ये लोग बन जाते हैं साइलेंट कैरियर. क्योंकि इन्हें ही नहीं पता चल पाता है कि शरीर में कोरोना पहुंच भी चुका है.

लक्षण कब तक सामने आते हैं?
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                                                              फोटो क्रेडिट-PTI

डॉक्टर दिलीप ने बताया,

‘कोरोना के लक्षण अमूमन पांच से 10 दिन के अंदर दिख जाते हैं, लेकिन साइलेंट कैरियर्स के साथ ऐसा नहीं होता. 10 दिन बाद ही थोड़े-बहुत लक्षण दिखते हैं. ये भी हो सकता है कि कोई लक्षण दिखे ही न. हो सकता है कि उनका शरीर स्ट्रॉन्ग इम्यून सिस्टम होने की वजह से खुद-ब-खुद 15 दिन तक कोरोना से लड़ता रहे और उससे पार पा ले. यानी वायरस को खत्म कर दे.’

किस उम्र के लोग होते हैं साइलेंट कैरियर्स?

डॉक्टर दिलीप ने बताया कि ज्यादातर मिलेनियल्स यानी युवा साइलेंट कैरियर्स होते हैं, क्योंकि बच्चों और बूढ़ों की अपेक्षा इनका इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग होता है.

क्या ब्लड ग्रुप से कोई रिलेशन है?

हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि O+ ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में A ब्लड ग्रुप वाले लोग कोरोना से जल्दी संक्रमित हो सकते हैं. डॉक्टर दिलीप ने भी इस रिसर्च के हवाले से कहा,

‘कोरोना किस ब्लड ग्रुप वाले के शरीर में जल्दी हो सकता है, इस पर तो चीन में रिसर्च हुई है. लेकिन कौन-से ब्लड ग्रुप वाले लोग साइलेंट कैरियर्स ज्यादा हो सकते हैं, इस पर रिसर्च अभी नहीं हुई है. इसलिए साइलेंट कैरियर्स होने का व्यक्ति के ब्लड ग्रुप से कोई रिलेशन है या नहीं, इस पर अभी कोई जवाब देना मुश्किल है. रिसर्च का विषय है.’

आदमी या औरत, कौन साइलेंट कैरियर्स ज्यादा?

फरवरी में चाइनीज़ सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने एक एनालिसिस पब्लिश किया था, जिसमें कहा गया था कि कोरोना की वजह से मरने वालों की संख्या में पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में काफी ज्यादा है. हालांकि कोरोना से इन्फेक्टेड लोगों में महिलाओं और पुरुषों की संख्या लगभग-लगभग बराबर बताई गई

खैर, इस रिसर्च में बात हुई थी कोरोना से मरने वालों की संख्या पर. लेकिन यहां सवाल ये है कि साइलेंट कैरियर्स महिलाएं ज्यादा होती हैं या पुरुष? सवाल के जवाब में डॉक्टर दिलीप ने कहा,

‘रिसर्च ये आई है कि मरने वालों में पुरुषों की संख्या ज्यादा है. लेकिन साइलेंट कैरियर्स का जेंडर से कोई रिलेशन है या नहीं, इस पर अभी तक कोई रिसर्च हुई नहीं है. इसलिए अभी ये नहीं कहा जा सकता कि महिलाओं के या पुरुषों के, किसके साइलेंट कैरियर्स होने की संभावना ज्यादा है.’

कैसे पता करें कि सामने वाला साइलेंट कैरियर है या नहीं?

डॉक्टर दिलीप ने कहा ये पता करना बहुत मुश्किल है. क्योंकि जब तक के किसी व्यक्ति का शरीर किसी तरह का लक्षण नहीं दिखाएगा, कोई कैसे जान पाएगा. आगे उन्होंने कहा,

‘ये काफी खतरनाक है, क्योंकि साइलेंट कैरियर्स को खुद नहीं पता होता कि उनके शरीर में कोरोना है. वो कई लोगों के कॉन्टैक्ट में आते हैं. उनके शरीर से कइयों के शरीर तक वायरस पहुंच जाता है. और हर किसी का इम्यून सिस्टम तो स्ट्रॉन्ग होता नहीं है, इसलिए हो सकता है कि साइलेंट कैरियर्स से जिन्हें वायरस मिला हो, वो बीमार पड़ जाएं. उन्हें समझ ही न आए कि वायरस कैसे लगा.’

ऐसे में क्या करना चाहिए?

डॉक्टर दिलीप ने एक सबसे जरूरी उपाय बताया. ये कि जितना हो सके सोशल डिस्टेंसिंग करें. कहा,

‘हालात को कंट्रोल करने के लिए, साइलेंट कैरियर्स से बचने के लिए जितना हो सके लोगों से दूर रहें. सोशल डिस्टेंसिंग करें. समय-समय पर हाथ धोएं. रोज़ नहाएं. मुंह, आंख, नाक, कान को बार-बार न छुएं. अच्छा खाना खाएं. भीड़ वाली जगहों पर न जाएं, क्योंकि आपको नहीं पता कि साइलेंट कैरियर कौन है. आगे के 10 से 15 दिन का वक्त बहुत क्रिटिकल है. क्योंकि कोरोना किसी व्यक्ति के शरीर में 15 दिन तो रहता ही है. आइसोलेटेड रहें, हो सकता है कि आपके शरीर में कोरोना हो, तो इन दिनों के अंदर कुछ लक्षण नज़र आ जाएं. अगर सिम्टम्स नज़र नहीं भी आते हैं, तो हो सकता है कि आप खुद साइलेंट कैरियर रहे हों. ऐसे में 15 दिन के अंदर आपका शरीर स्ट्रॉन्ग इम्यून सिस्टम होने के कारण खुद-ब-खुद वायरस को भगा दे. ऐसे में ये आपके शरीर से किसी को नहीं फैलेगा और आप भी सुरक्षित रहेंगे.’

साइलेंट कैरियर्स से सबसे ज्यादा खतरा किसे?
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                                                                  फोटो क्रेडिट-PTI

उनके साथ घर में रहने वाले बुजुर्गों और बच्चों को, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम उतना स्ट्रॉन्ग नहीं होता, ऐसे में उनके शरीर पर जल्दी वायरस लग सकता है. इसलिए डॉक्टर दिलीप ने सलाह दी कि सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब ये नहीं कि परिवार के साथ मज़े से कुछ-कुछ बनाकर खाएं या गेट-टुगेदर करें. सबसे दूर रहें.

उस सवाल का जवाब, जहां से खबर शुरू हुई?

‘अमेरिका और जापान के जिन तीन आदमियों का पहले कोरोना टेस्ट निगेटिव आया था, फिर बाद में पॉजिटिव आया, उनके साथ ऐसा क्यों हुआ? क्या साइलेंट कैरियर के अंदर मौजूद कोरोना वायरस टेस्ट में भी नहीं नज़र आते?’

इस सवाल के जवाब में डॉक्टर दिलीप ने कहा,

‘अभी कोरोना वायरस की टेस्टिंग मेथड्स (मेडिकल जांच प्रक्रिया) विकसित की जा रही हैं. अलग-अलग तरह से टेस्ट करके कोरोना का पता लगाया जा रहा है. हो सकता है कि इन तीन आदमियों का जो टेस्ट पहले हुआ था, उसमें इनके शरीर में मौजूद वायरस से रिस्पॉन्ड न किया हो. दूसरे-तीसरे टेस्ट में किया हो. वैसे भी इस वक्त डॉक्टर उन्हीं लोगों के टेस्ट प्राथमिकता से कर रहे हैं, जिनके शरीर में किसी तरह का कोई सिम्टम दिख रहा है. बिना सिम्टम के टेस्ट नहीं हो रहे हैं. क्योंकि टेस्टिंग मेथड्स और टेस्टिंग किट्स की कमी है.’

दुनिया के हाल क्या हैं?
                                
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Worldometer के मुताबिक, दुनियाभर में कोरोना के अब तक 245,885 मामले सामने आ चुके हैं. 10,048 लोगों की मौत हो चुकी है. चीन और इटली की हालत सबसे खराब है. चीन में 80,967 कन्फर्म मामले आए हैं, इनमें से 3,248 की मौत हो चुकी है. वहीं इटली में कन्फर्म केस की संख्या 41,035 है. 3,405 लोगों की मौत हो चुकी है. इरान, स्पेन, जर्मनी, अमेरिका और फ्रांस में भी कन्फर्म मामलों की संख्या 10,000 से ज्यादा है.

अब बात भारत की

भारत में अब तक 201 मामले सामने आए हैं. पांच लोगों की मौत हो चुकी है. एक मौत कर्नाटक में 76 साल के बुजुर्ग की हुई. दूसरी मौत दिल्ली में एक महिला की हुई. बेटे से संपर्क में आने के बाद वो कोरोना की चपेट में आई थी. तीसरी मौत मुंबई में 64 साल के बुजुर्ग की हुई. वो कुछ दिन पहले दुबई से लौटे थे. चौथी मौत 19 मार्च को पंजाब में हुई. मरने वाले व्यक्ति की उम्र 72 बरस थी. वो कुछ ही दिन पहले इटली होते हुए जर्मनी से भारत लौटे थे. पांचवीं मौत जयपुर में हुई. मरने वाला व्यक्ति इटली से आया एक टूरिस्ट था. भारत में कोरोना के सबसे ज्यादा कन्फर्म मामले महाराष्ट्र में मिले हैं. मामलों की संख्या अभी 52 है.

स्रोत - द ललनटोप
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Labels: ज्ञान की बातें

Monday, 2 March 2020

LIFESTYLE(जीने की राह) 10:13

हमारी बदलता किशोरावस्था

 हमारी बदलता किशोरावस्था
हमारी बदलता किशोरावस्था-santalivideos.com
                                         image by - pixabay

नानी-दादी की छांव नहीं हैसं युक्त परिवार टूट गये, साथ ही छूट गया दादी-नानी का प्यार भरा अहसास ओर सरक्षा का भाव। झुलाघर में या अकेले  घर में पले हए बच्चे जो स्वयं प्यार के लिए तरसते हैं उन में मानवता के लिए प्यार की भावना आना मश्किल है। दादी-नानी की  कहानियों की जजह हिंसात्मक वीडियो गेम जहां जोली चलाना, मार डालना खेल का हिस्सा है, वहां से बच्चों में आपराधिक मानसिकता की पृष्ठभूमि तैयार हो जाती है। उन्हें मरना या मारना कोई बड़ी बात नहीं लगती। आकड़ों की बात की जाए तो किशोरों में आत्महत्या के मामले ही बढ़ रहे हैं। ज़रा सी बात पर अपनी ज़िंदगी समाप्त कर देने में वो परहेज नहीं करते। कई उदाहरण मिलते हैं कि मां ने ज़रा सा डांट दिया बच्चे ने आत्महत्या कर ली। या फिर मां ने टीवी देखने या मोबाइल चलाने को मना किया तो बच्चे ने मां की हत्या कर दी। दोनों ही स्थितियों में मरने-मारने की कोई पर्व योजना नहीं थी। कहीं न कहीं ये हिंसात्मक खेल बच्चों को हिंसा की ओर प्रेरित कर रहे हैं। ये बच्चे हमारे बच्चे हैं। हमारा, हमारे देश का ओर सम्पर्ण मानवता का भविष्य हैं। इनमें इस तरह की आपराधिक भावना आ जाना हमें चेताने को काफ़ी होना चाहिए। किशोर बच्चों में अपराधिक मानसिकता के कारणों को समझ कर हमें उन्हें दूर करने की ज़िम्मेदारी सब को लेनी होगी


आपस में गुत्थम-गुत्था किशोरों के मसले सुलझाने की कोशिश में आपने भी शायद ऐसे जुमले सुने होंगे।
आजकल के बच्चे कितने बदतमीज़ हो चुके हैं। पर सोचा है क्यों? युवाओं में ग़ुस्से और नतीजतन बढ़ते अपराधों के कारणों पर एक विश्लेषण किशोरावस्था यानी उम्र का वो पड़ाव जिसमें उम्र बचपन व युवावस्था के बीच थोड़ा-सा विश्राम लेती है। यहां न बचपन की मासूमियत है न बड़ों की सी समझ और ऊपर से ढेर सारे शारीरिक व मानसिक और हार्मोनल परिवर्तनों का दबाव...ऐसे में ध्यान देना बेहद ज़रूरी है....

शुरू से ही किशोरावस्था"हैंडल विथ केयर" की उम्र मानी जाती रही है। और यथासंभव परिवार व समाज इनको संभालने का प्रयास भी करता रहा है। पर आज बढ़ती बेअदबी दी कर रही है, तो दूसरी तरफ बाल अपराध के आंकड़े चौंका रहे हैं। अगर मानसिकता की बात करें तो किशोर बच्चे अब बच्चे नहीं रहे। चोरी, बालात्कार और हत्या जिसे संगीन अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। आख़िर बच्चों में इतनी क्रोध व असंयम क्यों पनप रहा है? हम हर बार पढ़ाई का प्रेशर कह कर समस्या के मूल को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। हमें सही कारण तलाशने होंगे।

ये भी पढ़ें:  रिलेशनशिप टिप्स दूरियों में भी बना रहेगा प्यार

1) बच्चों की राय कुछ सम्भव नहीं? 
एकल परिवारों में हर बात में बच्चों की राय ली जाती तक यह बच्चों को निर्णय लेना सिखाने व उनकी राय को अहमियत देना ज़रूरी है, पर कौन-सा सोफा लेना है, बच्चों से पूछो घर का नवशा बच्चों से पूछ कर बनाना, यह तो इंतेहा है। जब सब बच्चों से पूछ कर हो रहा है तो बच्चे अपने को बड़ों के बराबर समझने लगते हैं। लिहाज़ा उन्हें हिदायत मिले, तो उन्हें अपना अपमान लगताहै। उन्हें राय देने की आदत पड़ चुकी होती है।

2) बात करने की भी हिम्मत नहीं? 
जिन घरों में किशोर बच्चे हें उनके माता-पिता उनके इस अतिशय क्रोध से डरे रहते हैं। बच्चों के माता-पिता यह कहते हैं कि हम तो उससे बात भी नहीं कर पाते, पता नहीं कब नाराज़ हो
जाएं। कहीं न कहीं ये बच्चों के स्वच्छंद हो जाने का कारण है।

3) स्पेस है ज़िम्मेदार
अब परिवार के अंदर एक स्पेस की अवधारणा 'है। माना गया कि हर सदस्य को स्पेस चाहिए यानी ये ज़रूरी नहीं कि वो अपनी हर बात बताए। इस स्पेस ने शायद कुछ अच्छा कियाहो पर दुर्भाग्यवश इसने माता-पिता व बच्चे के बीच एक दीवार खड़ी कर दी। बच्चों ने इसे अपना अधिकार समझा। अब बच्चे कहीं जा रहे हैं, देर से घर आ रहे हैं या किसके साथ जा रहे हैं ये सामान्य से प्रश्न भी स्पेस के घेरे में आ गए हैं। बच्चों पर बड़ों की निगरानी की जो लगाम ज़रूरी थी वो स्पेस की कैंची से काट दी गई। बच्चे निरंकुश हो गए। माता-पिता तो बच्चों का बैग चेक कर ही नहीं सकते। अब वो चाहे स्कूल मोबाइल लेकर जाए या वोडका या चाकू कोई जांच नहीं सकता, तो फिर उन्हें समझाएं तो कैसे समझाएं ?

ये भी पढ़ें: चीन देश के बाद अब भारत में फैल रहे कोरोना वायरस (CORONA VIRUS) से बचने के लिए लोगों को क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

(3 पढ़ाई का प्रेशर नया है?
आज बच्चे के हर दोष के लिए पढ़ाई का प्रेशर कह कर उसे दोषमुक्त कर दिया जाता है। बच्चों ये प्रेशर हम ही ने डाला है। रही बात किशोरों की तो उन पर पढ़ाई का प्रेशर हर दौर में रहा है। इसी उम्र में प्रतियोगी परीक्षाएं देकर कैरियर चना जाता है। विफलताएं पहले भी होती थीं, पर अब विफलताएं सहन नहीं होतीं, न बच्चों को, न मां- बाप को। इसीलिए इस प्रेशर का हाइप बना कर हम ही अपने बच्चों के सामने प्रेशर, प्रेशर, प्रेशर जप कर उनके दिमाग़ में यह बिठा देते हैंकि उनके साथ कुछ ग़लत हो रहा है। इसकारण किशोर बौखलाए रहते हैं। क्रोध उनको
अपराध की ओर प्रेरित करता है। उनको मां- बाप, समाज दुश्मन नज़र आते हैं। )

ज्ञान की भी अति है 

हमने बच्चों को इंटरनेट के साथ अकेला छोड़ दिया है। वयस्कों से सम्बंधित जनकारी कम उम्र में पा कर जल्दी बड़े होते जा रहे हैं। यहां अगर मेँ पेर्न या अश्लीलता की बात न करूं तो भी बच्चों को समय से पहले अत्यधिक जानकारी है जिसके कारण उनकी मासूमियत खो गई है। एक उम्र चंदा को मामा समझने की भी जरूरी है। आज चार साल के बच्चे को पता है की चंद्रमा एक निर्जीव उपग्रह है वहां तो सांस लेने की हवा भी नहीं। अतिशय जनकारी मासूमियत ख़त्म कर देती है। हम उम्र की एक पायदान ऊपर बढ़ कर बचपन में किशोर, किशोरावस्था में युवा व युवावस्था में प्रौढ़ हो चले हैं। तो क्यों न ये समझा जाए कि आज अपराध किशोर नहीं, एक युवा कर रहा है।

अगर पोस्ट अच्छी लगी हो तो. आपसे विनती है इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ अपने रिश्तेदारों के साथ WhatsApp पर शेयर करना बिलकुल ना भूलें हो सकता है उनको इस पोस्ट की बेहद जरूरत हो. धन्यवाद!!!!
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Sunday, 1 March 2020

LIFESTYLE(जीने की राह) 10:50

टेक्नोलॉजी के दोस्त बनें गुलाम नहीं

टेक्नोलॉजी के दोस्त बनें गुलाम नहीं

टेक्नोलॉजी के दोस्त बनें गुलाम नहीं-santalivideos.com
                  image by - pixabay
दिन - ब - दिन स्मार्टफोन पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है . जो काम हमारे दिमाग को करना चाहिए , उन कामों के लिए भी हम स्मार्टफोन पर निर्भर होते जा रहे हैं . मोबाइल नंबर , जरूरी कामों की सूची , पासवर्ड , खास तारीखें आदि कई जरूरी चीजें स्मृति पटल में संजोने के बजाय हम स्मार्टफोन में स्टोर कर रहे हैं . इसका सीधा असर हमारी स्मृति पर पड़ रहा है . हम अपनी स्मृति क्षमता खो रहे हैं . जो चीजें पहले हमें याद थीं , उन्हें भी भूल रहे हैं . उन्हें याद करने का प्रयास भी नहीं करते . हम यह भूल रहे हैं कि दिमाग में स्टोर डाटा कभी नहीं मिटता . कुछ भी याद करने के लिए बस दिमाग पर थोड़ा जोर डालना होता है , पर अगर स्मार्टफोन खराब या गुम हो जाये , तो सारी मेमोरी करप्ट हो जाती है . अतः बेहतर होगा कि हम अपने दिमाग - का - ज्यादा से - ज्यादा इस्तेमाल करें . इसके लिए कुछ प्रमुख बातों पर ध्यान देना जरूरी है । दिमाग में बनाएं सूची : जरूरी सामानों की सूची हो या जरूरी कामों की , आजकल सब स्मार्टफोन पर ही बना कर रखते हैं और जरूरत पड़ने पर खोल कर देख लेते हैं . दिमाग पर जोर डालते ही नहीं . इससे धीरे - धीरे दिमाग की क्षमता कम हो रही है . बेहतर होगा इन सारी चीजों या बातों को अपने दिमाग में ही सूचीबद्ध रखने की आदत डालें .

खुद याद रखें तारीखें पहले किसी का जन्मदिन हो या शादी की साल गिरह , हमारे दिमाग में वह तारीख लॉक रहती थी , पर उसके लिएभी अब हम स्मार्टफोन में रिमाइंडर सेट करके रखते हैं . बेहतर होगा अभी तक आपने जितनी भी तारीखें स्मार्टफोन में स्टोर की हैं , उन्हें अपने मेमोरी में सेव कर लें और फिर फोन से डिलीट कर दें .
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इ - बुक की बजाय पलटें किताब के पन्ने आजकल ई - बुक का प्रचलन जोरों पर हैं . लोग किताबों को किंडल या स्मार्टफोन पर पढना पसंद करते हैं , ज्यादा देर स्मार्टफोन यूज करने से आंखों को नुकसान पहुंचता है . इस आदत को बदलें . किताबों के पन्ने पलटने की आदत डालें . किताबें स्मार्टफोन से ज्यादा सुरक्षित हैं .

फोन नंबर डायल करने की आदत डालें
पहले किसी को कॉल करने के लिए हम उसका कॉन्टैक्ट नंबर डायल करते थे इस कारण कई सारे नंबर हमें मुंहजबानी याद हो रहते थे और आपात स्थिति में उनसे संपर्क कर लेते थे , पर स्मार्टफोन ने हमारी इस आदत को खराब कर दिया . अब हमें किसी को कॉल करने के लिए फोन कॉन्टैक्ट लिस्ट में उसका नाम देख कर डायल कर लेते हैं . अपनी इस आदत को बदलने का अभ्यास करें . जरूरी कॉन्टैक्ट नंबर्स को जरूर याद करके रहें .

दिमाग ज्यादा सुरक्षित है
स्मार्टफोन से यह बात हमेशा याद रखें कि आपका डाटा आपके दिमाग में ज्यादा सुरक्षित है . एटीएम पिन , अकाउंट नंबर , पासवर्ड जैसे निजी डाटा स्मार्टफोन में सेव रखने की बजाय दिमाग में सेव करके रखें . हर काम के लिए स्मार्टफोन पर हमारी निर्भरता हमें इसका गुलाम बना रही है . स्मार्टफोन हमारी जरूरत का हिस्सा है . इसे अपनी आदत न बनाएं . सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही इसका उपयोग करें

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LIFESTYLE(जीने की राह) 10:29

रिलेशनशिप टिप्स दूरियों में भी बना रहेगा प्यार

रिलेशनशिप टिप्स:

दूरियों में भी बना रहेगा प्यार

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लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में अक्सर दूरी झगड़ों का कारण बन जाती है , जो रिश्ते में कड़वाहट पैदा करने के साथ ही एक समय के बाद ही कपल को अलग कर देती है . ऐसी स्थिति उत्पन्न ही न होने पाये , इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है .

कॉल नहीं तो मैसेज सही :

दूर रहने पर सबसे बड़ी समस्या टाइम मैचिंग की होती है . लीजर टाइमिंग मैच नहीं करने की वजह से अक्सर कॉल पर बात करना संभव नहीं होता . ऐसे में व्हाट्सएप्प या टेक्सट मैसेज के जरिये आप अपनी फीलिंग्स शेयर कर सकते हैं . इससे आप दोनों के बीच का कनेक्शन बना रहेगा . . .
ये भी पढ़ें: ऐसी कौन सी रहस्यमयी जगह है जहाँ किसी की मृत्यु  नहीं होती है?
कभी - कभार वीडियो कॉल भी :

तेजी से विकसित होते तकनीक ने तो आपसी दूरियों को पाट ही दिया है , अब आप वीडियो कॉल के जरिये बातें करने के दौरान अपने प्यार का चेहरा और उस पर उभरते भावों को भी देख सकते हैं . यह विकल्प दूर होते हुए भी आपको एक - दूसरे से नजदीक होने का अहसास कराता है . जब वीडियो कॉल न पायें , अपनी एक प्यारी - सी मुस्कुराती हुई तस्वीर के साथ पार्टनर को अपनी याद दिला सकते हैं .
ये भी पढ़ें: कुछ हैरान करने वाले fact हैं जो शायद ही दुनिया को जानकारी नहीं हो ?
एक मुलाकात जरूरी है :

लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशन में होते हुए भी गाहे - बगाहे एक - दूसरे से मिलने की कोशिश करें . आप चाहें तो एक साथ होली डे ट्रिप प्लान कर सकती हैं या फिर कभी सरप्राइज विजिट के जरिये उन्हें चौंका सकती हैं . आपकी यह कोशिश आपके रिश्ते में नयी जान डाल देगी .

कभी - कभी दिल की बात :

कहते हैं प्यार कहने से ज्यादा समझने की चीज है , पर कई बार सामनेवाले को इस खूबसूरत अहसास से रूबरू करवाने के लिए आपको इन्हें शब्दों में पिरोना जरूरी होता है . जरूरी नहीं ' आइ लव यू ' ही कहा जाये , ' आइ मिस यू ' या ' आइ केयर फॉर यू ' कह कर भी आप अपनी भावनाएं जता सकती हैं .

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ऑस्ट्रेलिया में ऊंट क्यों मारे जा रहे हैं?

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