Black Money क्या होता है?
ऐसी कोई भी नगद या भेंट,जो बौद्धिक अथवा शारीरिक श्रम के बिना पैदा होती है,ली और दी जाती है , ब्लैक मनी या काला धन या ऊपरी कमाई कहा जाता है। काली कमाई का सीधा अर्थ है दूसरे के हक को छीनने से जो धन प्राप्त हो, वह काला धन है। सीधे भाषा मे इसे समझा जा सकता है, सरकार व्यवस्था चलाने और लोक कल्याण के काम के लिए प्रत्येक व्यक्ति से टैक्स उसके द्वारा की गई खरीद फरोक्त पर लेती है । सरकार की यह जिम्मेदारी है,कि पाई पाई सही काम के लिए खर्च हो और जिसके लिए , जितना दिया जाय वह पूरा पूरा उन्हें मिले,सड़क के निर्माण को ही लेते हैं, सरकार सड़क बनाने के लिए एक निश्चित धन राशि देती है, अब देखिए कैसे शुरु होती है,काली कमाई जैसे ही सड़क निर्माण स्वीकृत होता है, ठेकेदार सीधे या सत्तारुढ़ पार्टी के कार्यकर्ता,पीआरओ, कैरियर या दलाल के माध्यम से विभाग के मंत्री तक दौड़ लगाना शुरु कर देते हैं, इस दौड़ में जो फंड रिलीज और काम पाने में सड़क की लागत का अधिकतम कमीशन देने को राजी हो जाता है,उसे काम मिलता है, कोई कह सकता है टेंडर वगैरह सब आनलाइन है, यह आनलाइन बस यही समझ लीजिए हांथी के दिखाने वाले दांत हैं, तो मान लीजिए कि 5करोड़ का फंड है तो 1करोड़ काम लेने में कालाधन बन गया सरकार के स्तर पर, इसके बाद 2 करोड विभाग और जिले स्तर के अधिकारियों कर्मचारियों को देने में काला धन बन गया। अब ठेकेदार का जायज मुनाफा 1करोड और 1करोड घटिया सामान और काम करके इस तरह कुल 3 करोड़ काला धन बन गया और बंट गया, अब सोच लीजिए शेष बचे 5 करोड में कैसी सड़क बनेगी। सड़क में जो गड्ढा होता है ,सड़क जो बनते ही टूटने लगती है वही काला धन का प्रमाण है।
भारत में, अवैध तरीकों से अर्जित किया गया धन काला धन (ब्लैक मनी) कहलाता है, काला धन वह भी है,जिस पर कर नहीं दिया गया हो, भारतीयों द्वारा विदेशी बैंको में चोरी से जमा किया गया धन का निश्चित ज्ञान तो नहीं है,किन्तु श्री आर वैद्यनाथन ने अनुमान लगाया है कि इसकी मात्रा लगभग 7,280,000 करोड रूपये हैं।
ऐसी कोई भी नगद या भेंट,जो बौद्धिक अथवा शारीरिक श्रम के बिना पैदा होती है,ली और दी जाती है , ब्लैक मनी या काला धन या ऊपरी कमाई कहा जाता है। काली कमाई का सीधा अर्थ है दूसरे के हक को छीनने से जो धन प्राप्त हो, वह काला धन है। सीधे भाषा मे इसे समझा जा सकता है, सरकार व्यवस्था चलाने और लोक कल्याण के काम के लिए प्रत्येक व्यक्ति से टैक्स उसके द्वारा की गई खरीद फरोक्त पर लेती है । सरकार की यह जिम्मेदारी है,कि पाई पाई सही काम के लिए खर्च हो और जिसके लिए , जितना दिया जाय वह पूरा पूरा उन्हें मिले,सड़क के निर्माण को ही लेते हैं, सरकार सड़क बनाने के लिए एक निश्चित धन राशि देती है, अब देखिए कैसे शुरु होती है,काली कमाई जैसे ही सड़क निर्माण स्वीकृत होता है, ठेकेदार सीधे या सत्तारुढ़ पार्टी के कार्यकर्ता,पीआरओ, कैरियर या दलाल के माध्यम से विभाग के मंत्री तक दौड़ लगाना शुरु कर देते हैं, इस दौड़ में जो फंड रिलीज और काम पाने में सड़क की लागत का अधिकतम कमीशन देने को राजी हो जाता है,उसे काम मिलता है, कोई कह सकता है टेंडर वगैरह सब आनलाइन है, यह आनलाइन बस यही समझ लीजिए हांथी के दिखाने वाले दांत हैं, तो मान लीजिए कि 5करोड़ का फंड है तो 1करोड़ काम लेने में कालाधन बन गया सरकार के स्तर पर, इसके बाद 2 करोड विभाग और जिले स्तर के अधिकारियों कर्मचारियों को देने में काला धन बन गया। अब ठेकेदार का जायज मुनाफा 1करोड और 1करोड घटिया सामान और काम करके इस तरह कुल 3 करोड़ काला धन बन गया और बंट गया, अब सोच लीजिए शेष बचे 5 करोड में कैसी सड़क बनेगी। सड़क में जो गड्ढा होता है ,सड़क जो बनते ही टूटने लगती है वही काला धन का प्रमाण है।
भारत में, अवैध तरीकों से अर्जित किया गया धन काला धन (ब्लैक मनी) कहलाता है, काला धन वह भी है,जिस पर कर नहीं दिया गया हो, भारतीयों द्वारा विदेशी बैंको में चोरी से जमा किया गया धन का निश्चित ज्ञान तो नहीं है,किन्तु श्री आर वैद्यनाथन ने अनुमान लगाया है कि इसकी मात्रा लगभग 7,280,000 करोड रूपये हैं।
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